पावन अवसर मानो इसको समझने औ समझाने का, अपनों और अपने मन मंदिर के गर्भगृह में जाने का। पावन अवसर मानो इसको समझने औ समझाने का, अपनों और अपने मन मंदिर के गर्भगृह में ...
और अति शोक को महसूस किया है। और अति शोक को महसूस किया है।
चिर काल से ही प्रेम में उत्थान पाये अस्तित्व ही जी पाये हैं चिर काल से ही प्रेम में उत्थान पाये अस्तित्व ही जी पाये हैं
जो हुआ भूलकर सब कुछ, हमे आगे बस बढ़ जाना हैं। जो हुआ भूलकर सब कुछ, हमे आगे बस बढ़ जाना हैं।
कुछ शब्दों में वर्तमान स्थिति का स्पष्ट चित्रण-कोरोना काल, सब बेहाल कुछ शब्दों में वर्तमान स्थिति का स्पष्ट चित्रण-कोरोना काल, सब बेहाल
कैसा है ये मंज़र, ये कैसा बवाल है? बिना मुँह ढँके निकल सके कोई, क्या किसी की मजाल है कैसा है ये मंज़र, ये कैसा बवाल है? बिना मुँह ढँके निकल सके कोई, क्या किसी...